[ये भंगीरे मृत्युंजय ने फेसबुक पर लिख छोड़े हैं. अब इनका अंत कहां होगा, वे ही जान सकते हैं. लेकिन इसे सामने रखना - खासकर उनके जो फेसबुक पर नहीं हैं - हमारा दायित्व है. कहें कि हमारी 'त्यौहारी' है. मृत्युंजय की भाषा आसान और मजमून गंभीर है. वे गहरे डिस्कोर्स के लिए भी प्लेफुली सीरियस हैं, उन लेखकों के उलट जो बिना किसी डिस्कोर्स के 'बिग बॉस' बनते हैं. इन्हें प्रकाशित करने की अनुमति देने के लिए मृत्युंजय का शुक्रिया. बुद्धू-बक्सा पर उनकी पिछली कविताएं यहां.]
१.
फंस मत जइयो सखी रंग में बारनीस है घोली
बूढ़ बाघ का कंगन बूझो राजा जी की बोली
नौ सौ मूस खाय के राजा रोज डोलावें कंठी
अभी भरम में उब्भ चुब्भ हैं के बान्हेगा घंटी
चहुंदिस थूके जंह तंह गारी बहस करे गन्हाय
लुच्च लफंगा भगत देखिके हरियर पेड़ झुराय
२.
कौन दिशा से आइल आन्ही, केकर भांडा फूटल
के रिसियायल के खिसियायल के महफ़िलिया लूटल
बाँए राही आन्ही आइल, दहिने भांडा फूटल
रिसियाए खिसियाए साहब लइकन महफ़िल लूटल
तूँ गुलाब तूँ कम्मलग़ट्टा हमहन सरसों फूल
आम कहाँ से पइबा राजा बोअले हवा बबूल
३.
फुर्र फुर्र सब चिरई उड़ गयीं छूड़ी कापे फेरों
बड़े जोर की भगति लगी है जाय कहाँ अब छेरों
साहेब के खपड़ा पे लईकन के शोर बा
केतनन के कहाँ कहाँ ऊठल मरोड़ बा
कहाँ गए रंगीला बाबू, कहाँ गए सब भक्त
दांत गडाया कौन चीज पर किसका चूसें रक्त
लन्दन पहुंचे रंगीला जी, श्री श्री संगे भक्त
आजादी पर दांत गड़ाया, पढ़गितियन का रक्त
४.
गईया मईया भारत मईया माल्या भईया सराररा
देशभगति की खाल ओढ़ दंगाई आवें सराररा
डेढ़ साल की कलाबाजियां लूट खसोटम सराररा
ट्रंप से गांठ जोड़ के मुद्दन गारी गावें सराररा
साधू लुच्चे, नेता टुच्चे, झूठम फूटम सराररा
जमुना के कपार श्री बैठे घंट बजावें सराररा
भांड भट्ट दर झुट्ठ प्रचारक मीडियामैनम सराररा
धन, हुन अवरू जेड्ड प्लस्स परसादम पावें सराररा
५.
सुबह सबेरे लाठी लेकर, भारत माता जय
मुंह में मन में तन में गाली, भारत माता जय
हत्यारे दंगाई झुट्ठे भांति-भांति के लुच्चे हैं
शासन की बंदूक हाथ में, भारत माता जय
लूटो देश किसान लूट लो नौजवान को जेल पठाओ
स्विस बैंक में पैसा दाबो, भारत माता जय
महिलाओं का रेप दिनदहाड़े हत्या कर निकलो
सोनी सोरी गर बोलें तो तो भारत माता जय
कॉलेज जंगल जमीं गाँव घर में दलितों को मारो
संविधान को लतिया करके, भारत माता जय
खेत छीन लो फसल जला दो आग लगाऊ भाषण
खुदकुशियों की लहर दर लहर, भारत माता जय
अंबानीज अदानी की लो चरण धूल सहलाओ
देश बेच कर औने-पौने भारत माता जय
गोस्वामी को करो खरहरा, सरदाना को दाना
उन्मादों की आग लगाकर, भारत माता जय
महिला दलित मुसलमां, पढ़ने लिखने वाले द्रोही
देश लुटेरे भगत बने हैं, भारत माता जय
६.
देश बेच के देश भगत हैं, गाय पीट गोस्वामी
जम्मूदीपे भगति राज, ठेके दारी चर्रानी
सारे बिषखोपड़े उधराए, नंग खायके पान
अफवाहों के बल पर काटें, सच्चाई का कान
देशभगति से अस अफनाये, मुंह लटका ज्यों झोला
फेसबुकी ट्विटरी सब फांकें, बम भोले का गोला
७.
भंग में रंग कि रंग में भंग है
होली के बीच में हाल बेरंग है
देखिके मूरति काहे को दंग है
मूरति भीतर शुद्ध लफ़ंग है
साहेब हाथ में घोड़े की तंग है
गोड़ कटी जिनगी अब जंग है
बोली पे मार जुबाँ पे अडंग है
भूलें हमारी हमारे ही संग है
८.
जीपीएफ पीपीएफ पर है डाका चिमत्कार है साहेब का
आधा मुलुक कर रहा फाका चिमत्कार है साहेब का
रंगहारे सब खायं सनाका चिमत्कार है साहेब का
होली बीचे हुआ धमाका चिमत्कार है साहेब का
९.
रंग दे रे रंगरेजा रे !
सरसों के फूलों से सपने, टेसू रंग करेजा रे
आम गाछ के नए बौर की मदिर गंध से भीना
संघर्षों की आंच में सींझा इश्क़ पियाला ले जा रे
रंगों के हिंडोल में झरती फगुनाहट के नीचे
मद्धम मद्धम दृढ आवाजों कोई नारा दे जा रे
इन उदासियों की लहरों पर झरते इन पत्तों पर
नव पल्लव की नई कलम से लिख दे रे रंगरेजा रे
१०.
रंग सभी आँखों में तैरे ख्वाजा पिया निज़ामुद्दीन
भीज गयी मेरी सभी किताबें ख्वाजा पिया निज़ामुद्दीन
तुम आओ इसलाह करो ये इश्क़ की बहरें अजब हुईं
तुम्हरे संग रन बन डोलूँगी ख्वाजा पिया निज़ामुद्दीन
रात जो रात चले जाओगे सभी रंग उड़ जावेंगे
दिन में रहो तकरार करेंगे ख्वाजा पिया निज़ामुद्दीन
१.
फंस मत जइयो सखी रंग में बारनीस है घोली
बूढ़ बाघ का कंगन बूझो राजा जी की बोली
नौ सौ मूस खाय के राजा रोज डोलावें कंठी
अभी भरम में उब्भ चुब्भ हैं के बान्हेगा घंटी
चहुंदिस थूके जंह तंह गारी बहस करे गन्हाय
लुच्च लफंगा भगत देखिके हरियर पेड़ झुराय
२.
कौन दिशा से आइल आन्ही, केकर भांडा फूटल
के रिसियायल के खिसियायल के महफ़िलिया लूटल
बाँए राही आन्ही आइल, दहिने भांडा फूटल
रिसियाए खिसियाए साहब लइकन महफ़िल लूटल
तूँ गुलाब तूँ कम्मलग़ट्टा हमहन सरसों फूल
आम कहाँ से पइबा राजा बोअले हवा बबूल
३.
फुर्र फुर्र सब चिरई उड़ गयीं छूड़ी कापे फेरों
बड़े जोर की भगति लगी है जाय कहाँ अब छेरों
साहेब के खपड़ा पे लईकन के शोर बा
केतनन के कहाँ कहाँ ऊठल मरोड़ बा
कहाँ गए रंगीला बाबू, कहाँ गए सब भक्त
दांत गडाया कौन चीज पर किसका चूसें रक्त
लन्दन पहुंचे रंगीला जी, श्री श्री संगे भक्त
आजादी पर दांत गड़ाया, पढ़गितियन का रक्त
४.
गईया मईया भारत मईया माल्या भईया सराररा
देशभगति की खाल ओढ़ दंगाई आवें सराररा
डेढ़ साल की कलाबाजियां लूट खसोटम सराररा
ट्रंप से गांठ जोड़ के मुद्दन गारी गावें सराररा
साधू लुच्चे, नेता टुच्चे, झूठम फूटम सराररा
जमुना के कपार श्री बैठे घंट बजावें सराररा
भांड भट्ट दर झुट्ठ प्रचारक मीडियामैनम सराररा
धन, हुन अवरू जेड्ड प्लस्स परसादम पावें सराररा
५.
सुबह सबेरे लाठी लेकर, भारत माता जय
मुंह में मन में तन में गाली, भारत माता जय
हत्यारे दंगाई झुट्ठे भांति-भांति के लुच्चे हैं
शासन की बंदूक हाथ में, भारत माता जय
लूटो देश किसान लूट लो नौजवान को जेल पठाओ
स्विस बैंक में पैसा दाबो, भारत माता जय
महिलाओं का रेप दिनदहाड़े हत्या कर निकलो
सोनी सोरी गर बोलें तो तो भारत माता जय
कॉलेज जंगल जमीं गाँव घर में दलितों को मारो
संविधान को लतिया करके, भारत माता जय
खेत छीन लो फसल जला दो आग लगाऊ भाषण
खुदकुशियों की लहर दर लहर, भारत माता जय
अंबानीज अदानी की लो चरण धूल सहलाओ
देश बेच कर औने-पौने भारत माता जय
गोस्वामी को करो खरहरा, सरदाना को दाना
उन्मादों की आग लगाकर, भारत माता जय
महिला दलित मुसलमां, पढ़ने लिखने वाले द्रोही
देश लुटेरे भगत बने हैं, भारत माता जय
६.
देश बेच के देश भगत हैं, गाय पीट गोस्वामी
जम्मूदीपे भगति राज, ठेके दारी चर्रानी
सारे बिषखोपड़े उधराए, नंग खायके पान
अफवाहों के बल पर काटें, सच्चाई का कान
देशभगति से अस अफनाये, मुंह लटका ज्यों झोला
फेसबुकी ट्विटरी सब फांकें, बम भोले का गोला
७.
भंग में रंग कि रंग में भंग है
होली के बीच में हाल बेरंग है
देखिके मूरति काहे को दंग है
मूरति भीतर शुद्ध लफ़ंग है
साहेब हाथ में घोड़े की तंग है
गोड़ कटी जिनगी अब जंग है
बोली पे मार जुबाँ पे अडंग है
भूलें हमारी हमारे ही संग है
८.
जीपीएफ पीपीएफ पर है डाका चिमत्कार है साहेब का
आधा मुलुक कर रहा फाका चिमत्कार है साहेब का
रंगहारे सब खायं सनाका चिमत्कार है साहेब का
होली बीचे हुआ धमाका चिमत्कार है साहेब का
९.
रंग दे रे रंगरेजा रे !
सरसों के फूलों से सपने, टेसू रंग करेजा रे
आम गाछ के नए बौर की मदिर गंध से भीना
संघर्षों की आंच में सींझा इश्क़ पियाला ले जा रे
रंगों के हिंडोल में झरती फगुनाहट के नीचे
मद्धम मद्धम दृढ आवाजों कोई नारा दे जा रे
इन उदासियों की लहरों पर झरते इन पत्तों पर
नव पल्लव की नई कलम से लिख दे रे रंगरेजा रे
१०.
रंग सभी आँखों में तैरे ख्वाजा पिया निज़ामुद्दीन
भीज गयी मेरी सभी किताबें ख्वाजा पिया निज़ामुद्दीन
तुम आओ इसलाह करो ये इश्क़ की बहरें अजब हुईं
तुम्हरे संग रन बन डोलूँगी ख्वाजा पिया निज़ामुद्दीन
रात जो रात चले जाओगे सभी रंग उड़ जावेंगे
दिन में रहो तकरार करेंगे ख्वाजा पिया निज़ामुद्दीन
1 टिप्पणियाँ:
जबरदस्त शानदार ज़िन्दाबाद
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