बुधवार, 4 अप्रैल 2012

व्योमेश शुक्ल की नई कविता

[अभी हमारा सामना व्योमेश शुक्ल की इस नई कविता से है. बक़ौल कवि, यह कुछ नहीं है या 'कुछ' है. उन्होंने अर्थापन की स्वतंत्रता दी है, तो इसे जज़्ब करना ज़्यादा सुन्दर अनुभव होगा. व्योमेश प्रयोग के कवि नहीं हैं, (ऐसा लगता है, लेकिन...फ़िर भी) वह अनुभव के भी कवि नहीं हैं, वह उस परम्परा को एक भिन्न दिशा देते हैं जो चित्रकार की आत्मा का निर्वहन करती है. व्योमेश दृश्य और प्रेम के कवि हैं. वह संगीत की श्रुति-अनुभूति का निर्वाह अपनी रचनाओं में करते आए हैं. व्योमेश की कविता में 'बिम्ब' को चिह्नित कर पाना कठिन है, इसलिए बिम्ब-रचना की अनिवार्यता व्योमेश पर लागू भी नहीं होती है. व्योमेश की यह कविता उनकी पुरानी रचनाओं से भिन्न तो है, क्योंकि यहाँ समझने की कठिनाई से सामना एक भिन्न स्तर पर होता है, लेकिन इस कविता का सरल-भाव ही इसके बरअक्स बसे संगीत और उससे होकर गुजरने वाले प्रेम को समझाता है. यहाँ 'मैं तुम्हारा इंतज़ार नहीं कर रहा हूँ' की टेक है, लेकिन इससे इंतज़ार नहीं करने का अर्थ तो कतई नहीं मिलता है. इसे कविता की तरह लेने से ज़्यादा मुनासिब इसे आत्म के काव्य-कथ्य की तरह लेना होगा. यदि  भावोच्छ्वास की कोई विधा होती, तो कवि इसे वहीँ जगह देता, लेकिन इस भावोच्छ्वास को हम कविता में जगह देंगे. यदि इसे गद्य के लहज़े में परिभाषित किया गया होता, तो यह काव्यानुभूति का अंत होता. यह हिन्दी की उन कुछ ही कविताओं में से है, जहाँ कवि का हमसे सीधा संवाद होता है, वह हमारी भाषा में बात करता है और पूछ गुज़रता है कि  "तुम स्साले बताओ कि कहीं मैं समझ में तो नहीं आ रहा हूँ". इसके पहले व्योमेश द्वारा किए गए हावर्ड ज़िन के लेख का अनुवाद यहाँ. बुद्धू-बक्सा व्योमेश शुक्ल का आभारी.]

रूसो - स्लीपिंग जिप्सी 

मैं तुम्हारा इंतज़ार नहीं कर रहा हूँ
(भावोच्छ्वासनुमा कुछ)


जो संगीत तुम्हारे लिए बना था वह मुझ पर से होकर गुज़रता है यह क्रूरता नहीं है तो क्या है. उधर तुम मेरा इंतज़ार कर रही हो इधर संगीत तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है मैं तुम्हारा इंतज़ार नहीं कर रहा हूँ. मैं तो आई पॉड पर गाना सुन रहा हूँ वही गाना जिसे सुनने का तुम्हारा बहुत तेज मन था उसे सुन रहा हूँ मैं तुम्हारा इंतज़ार नहीं कर रहा हूँ.

उसे सुनता ही जा रहा हूँ मैं तुम्हारा इंतज़ार नहीं कर रहा हूँ जो संगीत तुम्हारे लिए बना था वह मुझ पर गुजरता है यह क्रूरता नहीं है तो क्या है? वैसे मैं तुम्हारा इंतज़ार नहीं कर रहा हूँ मेरी आँख में कतई आँसू नहीं हैं हो भी नहीं सकते कोई सवाल पैदा नहीं होता ये फालतू बात बीच में आ भी कहाँ से गयी. वैसे तो सभी बातें फालतू हैं लेकिन आँसू वाली बात खास तौर पर फालतू है आँसू नहीं है पसीना नहीं है पंखा चल रहा है बाक़ायदा सर के ऊपर मैं तुम्हारा इंतज़ार नहीं कर रहा हूँ गाना सुन रहा हूँ वही गाना सुन रहा हूँ तुम बताओ कि उस गाने को मैंने एक बार सुना होगा कि बार-बार. वैसे यह सवाल भी क्या सवाल है लेकिन अगर बताने का मन करे तो बता ही दो लेकिन तुमको कैसे पता चलेगा कि उस गाने को मैंने एक बार सुना होगा कि बार बार. जो संगीत तुम्हारे लिए बना था वह मुझ पर से होकर गुज़रता है यह क्रूरता नहीं है तो क्या है

तुम हाशिया नहीं छोड़ते तुम समय से नहीं आते तुम्हें किसी के इमोशंस की परवाह नहीं है अब यह काम भी तुमसे नहीं हो पायेगा वह भी. तुम जगते रह जाओगे. मैं तुम्हारा इंतज़ार नहीं कर रहा हूँ तुम बताओ कि मैं क्या कर रहा हूँ. और तुम स्साले बताओ कि कहीं मैं समझ में तो नहीं आ रहा हूँ मैं तुम्हारा इंतज़ार नहीं कर रहा हूँ मैं तो आइ-पॉड पर गाना सुन रहा हूँ.

5 टिप्पणियाँ:

leena malhotra ने कहा…

जो संगीत तुम्हारे लिए बना था वह मुझ पर गुजरता है यह क्रूरता नहीं है तो क्या है?

arpit ने कहा…

vyomesh ji iss kavita ke dwara eek bada accha anubhav mujhe prapte huva aur mai baar baar ise apni kai premikao se jodta jaa raha hu mai tumhara intzaar nahi ker raha hu mai mai tumhara kitna besabri se intzaar kar raha hu ki baat kitni sacchai ke saath chupi hui hai waah waah lambe samey ke baad acchi suruvaat hone waali hai

arpit ने कहा…

acchi kavita hai vyomesh ji

abhilash ने कहा…

सिद्धान्त आपकी टिप्पणी उम्दा है.व्योमेश जी की पिछली कविताओं से ये अलग तो है, लेकिन खराब कविता नहीं. ये अपनी सरलता को हथियार बनाकर लड़ाई करती है....कवि को शुभकामनाएं.

अभिलाष निरंजन

Divik Ramesh ने कहा…

यह कविता इतनी सघनता से तरल हॆ कि इसे समझ के ठोस पात्र में नहीं ग्रहण किया जा सकता । लेकिन इसका जो एहसास हॆ उसे सृजनशीलता की प्रक्रिया में घुमड़-घुम़ड़ कर
उठने वाली घटाओं की तरह घंटो महसूस किया जा सकता हॆ। कोई भॊतिक अस्तित्व जब अपने पूर्णव्यापी तरलतम रूप में हमें हांट किया करता हॆ तब ऎसी ही आत्मीय अनुभूति हुआ करती हॆ। बधाई ऒर शुभकामनाएं ।