tag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post4120354128069553142..comments2023-06-09T19:20:40.264+05:30Comments on बुद्धू-बक्सा: सुंदर से सुंदर को नष्ट होना होता है एक दिन - प्रभातUnknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-14646822495245731692013-04-02T11:40:35.191+05:302013-04-02T11:40:35.191+05:30मेरी एक कविता की पंक्तियाँ हैं ...
"पत्तियों...मेरी एक कविता की पंक्तियाँ हैं ...<br /><br />"पत्तियों से निर्धन पेड़ों <br />के हज़ार हाथों <br />पर टंगा हुआ है <br />आसमान "<br /><br />प्रभात भाई को पढ़ कर अपनी खो गई कविता याद आई।kumar anupamhttps://www.blogger.com/profile/13524327053753913754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-63126750917731462832013-04-02T01:34:09.086+05:302013-04-02T01:34:09.086+05:30प्रभात की कविता के होने से हिंदी कविता ठोस और सुन्...प्रभात की कविता के होने से हिंदी कविता ठोस और सुन्दर है, क्यूंकि इस कविता को असुंदर से प्रेम करना आता है और सुन्दर से विराग भी. हर बार नये ढंग से जीने की कामना का और उसे विक्षत करने वाली हताशा दोनों का आविष्कार करने वाली कविता. गिरिराजhttp://www.pratilipi.innoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-31249182014166164772013-03-23T15:16:00.761+05:302013-03-23T15:16:00.761+05:30प्रभात की कविताओं में जो रागात्मकता का रस है, अनेक...प्रभात की कविताओं में जो रागात्मकता का रस है, अनेक विसंगत स्थितियों में कैसे उसका स्वाद बदलता है,यह प्रभात महसूस करा पाते हैं। एक रचनाकार की सफलता यही तो है.मेरी अशेष शुभकामनाएँ. kumar anupamhttps://www.blogger.com/profile/13524327053753913754noreply@blogger.com