tag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post2899080169306288907..comments2023-06-09T19:20:40.264+05:30Comments on बुद्धू-बक्सा: विष्णु खरे की नई कविताएँUnknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-26448874008009235512013-08-17T18:29:40.575+05:302013-08-17T18:29:40.575+05:30काफ़ी अच्छी और प्रतिरोध से भरी कविता बहुत दिनों बा...काफ़ी अच्छी और प्रतिरोध से भरी कविता बहुत दिनों बाद पढ़ने को मिली बहुत-बहुत धन्यवाद....archanahttps://www.blogger.com/profile/11718723024263472594noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-43644928000160905652013-08-17T18:14:11.342+05:302013-08-17T18:14:11.342+05:30इतनी अच्छी कविताओं के बीच मेरा नाम आ जाना स्वाद ...इतनी अच्छी कविताओं के बीच मेरा नाम आ जाना स्वाद बिगाड़ता है। राजेन्द्र जी को टिप्पणी इन कविताओं पर करनी चाहिए न कि अवांतर प्रसंगों पर। पहल में इन्हें पढ़ा। बड़े आखिर बड़े होते हैं,ये इन्हें और दूसरे अग्रजों की कविताएं पढ़ते हुए लगातार महसूस हो रहा है इन दिनों। शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-37905048217559465682013-08-17T09:41:03.256+05:302013-08-17T09:41:03.256+05:30क्या आप या श्री विष्णु खरे जानते हैं कि उत्तराख...क्या आप या श्री विष्णु खरे जानते हैं कि उत्तराखंड त्रासदी पर ग़लत सरकारी नीतियों और उसके पक्ष में खड़े बड़े-बड़े लोगों(जिसमें जगूड़ी जी जैसे लेखक भी हैं)का विरोध रचते हुए शिरीष मौर्य ने कितनी कविताएं लिखी हैं। शुक्रवार में ऐसी ही एक कविता आवरण कथा के रूप में छपी...इसके पहले कविता की टिहरी डूब गई जैसी कविता लगातार मैंने कई जगह छपी देखी, हाल ही में यह और एक और कविता समकालीन जनमत में देखी। <br /><br />शिरीष मौर्य का उदाहरण तो सामने है...और भी लोग हैं जो चुपचाप प्रतिरोध का साहित्य लिख रहे हैं। पर आजकल इंटरनेट पर जिसका हल्ला है वही बड़ा है। राजेन्द्र सिंहhttps://www.facebook.com/rajendra.singh.982845?fref=tsnoreply@blogger.com