tag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post4369216740796636241..comments2023-06-09T19:20:40.264+05:30Comments on बुद्धू-बक्सा: विष्णु खरे की नई कविताएँUnknownnoreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-995654647327146612012-11-03T13:20:13.673+05:302012-11-03T13:20:13.673+05:30विष्णु खरे अपनी इन कविताओं में भी वैसे ही मौलिक और...विष्णु खरे अपनी इन कविताओं में भी वैसे ही मौलिक और आनंददायी हैं जैसे वह खुद हैं- एक कवि, आलोचक, पत्रकार, और मित्र के बतौर ! हमारे समय के सशक्त रचनाकार को अपने पन्ने पर ले आने की प्रसन्नता में आपका ब्लॉग अब देखता रहूँगा....HemantSheshhttps://www.blogger.com/profile/14694725282954331603noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-89489937173467611182012-11-03T12:11:13.371+05:302012-11-03T12:11:13.371+05:30संग्रहणीय पोस्ट. जानदार कवितायेँ. विष्णु जी की ये ...संग्रहणीय पोस्ट. जानदार कवितायेँ. विष्णु जी की ये कवितायेँ जैसा कि असद जी ने कहा सचमुच हैरान कर देती हैं. Ashok Pandehttps://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-21738145119579208842012-11-02T14:03:24.048+05:302012-11-02T14:03:24.048+05:30हे भगवन, हे विष्णु... हे भगवन हे विष्णुहे भगवन, हे विष्णु... हे भगवन हे विष्णुAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/04419500673114415417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-49008738971984739042012-11-02T14:03:16.258+05:302012-11-02T14:03:16.258+05:30विष्णु खरे की इनमें से बेशतर कविताएँ लगता है अरसा ...विष्णु खरे की इनमें से बेशतर कविताएँ लगता है अरसा दराज़ से दबी पड़ी थीं अपनी बारी के इंतज़ार में... और इनसे वाबस्ता मनुष्य भी। यकायक सामने आकर हैरान करती हैं और आपके वुजूद के ख़ाली गोशों को रिकवरी की ख्वाहिश से पुर कर देती हैं।<br /><br />असद ज़ैदीAsad Zaidihttps://www.blogger.com/profile/02756201125298704591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-80930664534812009022012-11-02T11:31:24.958+05:302012-11-02T11:31:24.958+05:30Dhanywaad siddhant ji in kavitaaon ko yahan dene k...Dhanywaad siddhant ji in kavitaaon ko yahan dene ke liye. aabhaari rhoongi.<br /><br />Pooja Pathak,<br />LucknowPooja Pathaknoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-44743296192075650912012-11-02T11:29:34.144+05:302012-11-02T11:29:34.144+05:30इसे अतिरेक मत समझियेगा लेकिन इन्हें पढ़ने के बाद म...इसे अतिरेक मत समझियेगा लेकिन इन्हें पढ़ने के बाद मैं बस पागलों की तरह सोचता ही रह गया, क्या ऐसा भी लिखा जा सकता है? और सच में यह कविताएँ ऐसे ही वक्त में हमसे रूबरू होती हैं, जब हिन्दी में दुहराव की संभावनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही हैं.<br />विष्णु जी को पढ़ना यानी हमेशा ही कुछ न कुछ नया सीखना है.<br /><br />मंगलकामनाएँabhilashhttps://www.blogger.com/profile/13920024191697578400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-23610303092195870422012-11-01T23:16:33.683+05:302012-11-01T23:16:33.683+05:30सिद्धान्त
सिर झुका है हमेशा इन कविताओं और कवि क...सिद्धान्त <br /><br />सिर झुका है हमेशा इन कविताओं और कवि के आगे.... <br /><br />शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-33047487292719056782012-11-01T22:24:12.448+05:302012-11-01T22:24:12.448+05:30निश्चय ही इन कविताओं को पढ़ना एक अलग, विलक्षण अनु...निश्चय ही इन कविताओं को पढ़ना एक अलग, विलक्षण अनुभव है जो इधर दुर्लभ है। अब इस बात को भी कहना दोहराव है: विष्णु जी हमारे समय के अद्वितीय रचनाकार हैं। लेकिन यह दोहराव हमारे लिए भी जरूरी है। 'कल के लिए' नहीं देख सका इसलिए आपने इन्हें यहॉं देकर मेरे जैसे पाठकों के लिए अच्छा किया है। धन्यवाद।कुमार अम्बुजhttps://www.blogger.com/profile/02635510768553914710noreply@blogger.com