tag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post4250131012969682941..comments2023-06-09T19:20:40.264+05:30Comments on बुद्धू-बक्सा: मृत्युंजय की कविताUnknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-11559898952691004442012-01-29T17:35:54.453+05:302012-01-29T17:35:54.453+05:30मृत्युंजय की कविता गहरे राजनैतिक,सामाजिक बोध से जु...मृत्युंजय की कविता गहरे राजनैतिक,सामाजिक बोध से जुडी हुई है जो वर्तमान समय के दायें खतरे को समझने में हमारी मदद करती है. बड़े बड़े भाषणों , गोष्ठियों,सेमिनारों और बहसों का विकल्प है यह कविता . इससे कविता की ज़रूरत और ताकत दोनों का ही पता चलता है. 'छपास' से दूर दूर रहने वाले कवि की कविता हम तक पहुँचाने के लिए शुक्रियाgeeteshhttps://www.blogger.com/profile/07614869209772523606noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-1651213750236176752012-01-29T14:06:30.922+05:302012-01-29T14:06:30.922+05:30मृत्युंजय को पढ़ना हमेशा अच्छा लगता है. तेज तीखी औ...मृत्युंजय को पढ़ना हमेशा अच्छा लगता है. तेज तीखी और धारदार...Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-834252060077814479.post-18199809419159530412012-01-29T11:04:41.132+05:302012-01-29T11:04:41.132+05:30"जो भी कहीं मांग-जांच खाता है
दीन अति दरिद्र
..."जो भी कहीं मांग-जांच खाता है<br />दीन अति दरिद्र<br />सोता है जाकर मसीत में<br />आज, उसी के वध से, शुरू हो यात्रा<br />संतो ने नाद किया दिल्ली में."<br />बहुत दिनों के बाद इतनी सधी हुई कविता देखने को मिली है, सांप्रदायिक उन्माद फैलाने के एजेंडे पर. मृत्युंजय को बधाई.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.com